सोलर एनर्जी के उपयोग से मिलने वाले टैक्स और फाइनेंशियल लाभ
आज के दौर में सोलर पैनल का उपयोग स्वच्छ और ग्रीन सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना जोर पकड़ रहा है और लोग तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स की ओर बढ़ रहे हैं। भारत इस सेक्टर में मजबूत स्थिति एस्टेबिलिश कर रहा है और उसका लक्ष्य रिन्यूएबल एनर्जी का एक प्रमुख सोर्स बनना है। सरकार का लक्ष्य 2024 के अंत तक 175 गीगावॉट की रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी हासिल करना है जिसमें 100 गीगावॉट सोलर पैनलों के द्वारा आएगी।
भारत की सोलर कैपेसिटी में वृद्धि
मुंबई में एक लीडिंग सोलर पैनल इंस्टालेशन कंपनी पूरी कैपेसिटी से काम कर रही है जिसके अच्छे रिजल्ट आने की उम्मीद है। अब तक 23 गीगावॉट का टारगेट हासिल कर लिया गया है और एक्स्ट्रा 40 गीगावॉट इंस्टॉल किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर सोलर पैनल 87% तक एनर्जी एफिशिएंसी प्रदान कर सकते हैं। इससे सोलर रूफटॉप का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। 2013 और 2016 के बीच सोलर रूफटॉप की कैपेसिटी 117 मेगावाट से बढ़कर 1250 मेगावाट हो गई। इसलिए, भारत में सौर EPC (इंजीनियरिंग, परचेस और कंस्ट्रक्शन) कंपनियां ज्यादा प्रोत्साहन की मांग कर रही हैं।
न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री द्वारा ऑपरेटेड भारत के राष्ट्रीय सोलर मिशन का लक्ष्य 2024 तक छत पर सोलर एनर्जी से 40 गीगावॉट बिजली जनरेट करना है। यह एक बड़ी चुनौती है लेकिन इसे प्राप्त किया जा सकता है। सरकार इस सपने को साकार करने के लिए विभिन्न कर छूट और अन्य प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। इस प्रकार सोलर पैनल न केवल एनर्जी का एक क्लीन सोर्स हैं बल्कि हमारे पर्यावरण को बचाने में भी मदद करते हैं। बढ़ती मांग और सरकारी सपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि सोलर एनर्जी का भविष्य बहुत उज्जवल है।
सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए टैक्स बेनिफिट्स जानिए
सोलर प्रोजेक्ट्स को सेल्स टैक्स से छूट दी गई है जिससे उनकी टोटल कॉस्ट काफी कम हो गई है। एंटी-डंपिंग ड्यूटी इन्क्लूशन यह सुनिश्चित करता है कि सोलर प्रोजेक्ट उचित बाजार मूल्य पर सोलर पैनल प्राप्त कर सकें। सोलर प्रोजेक्ट को एक्साइज ड्यूटी से छूट दी गई है जिससे प्रोडक्शन कॉस्ट कम हो गई है। इम्पोर्ट किए गए सोलर पैनलों पर कोई कस्टम ड्यूटी नहीं है जिससे उनकी कीमत में और कमी आती है। पहले दस सालों के लिए प्रोजेक्ट से कमाए गए पैसों पर कोई इनकम टैक्स नहीं है। सोलर पावर प्रोडूसर पहले साल में ही अपनी कॉस्ट का 40% वसूल कर सकते हैं।
नेट मीटरिंग इंसेंटिव और बैंकिंग चार्ज
नेट मीटरिंग सोलर पैनलों द्वारा जनरेट की गयी बिजली की सेल्फ-कंसम्पशन की अनुमति देता है जिससे बिजली का टू-वे आदान-प्रदान संभव हो जाता है। अगर कंस्यूमर ग्रिड में बिजली जमा करते हैं तो उन्हें इसके लिए पैसे प्राप्त होंगे। कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सेक्टर ने शुरू में इस अरेंजमेंट का ओप्पोस किया लेकिन बाद में इसके लाभों को एक्सेप्ट किया। नेट मीटरिंग पॉलिसी रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों बाजारों के लिए फायदेमंद साबित हुई है। बैंकिंग चार्ज जैसे नए प्रोविसिओं का उद्देश्य पर्यावरण को बिना नुक्सान पहुंचाए सिस्टम को ज्यादा सस्टेनेबल बनाना है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर रूफटॉप योजनाएं
सरकार सृष्टि और सौभाग्य जैसी योजनाओं के माध्यम से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रूफटॉप सोलर पैनल की इंस्टालेशन को बढ़ावा दे रही है। सृष्टि योजना शहरी क्षेत्रों पर केंद्रित है जबकि सौभाग्य योजना ग्रामीण क्षेत्रों को टारगेट करती है। इन पहलों का लक्ष्य हर घर को उनकी आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना मुफ्त बिजली प्रदान करना है।
इसके अलावा, सोलर रूफटॉप से ग्रिड में सप्लाई की जाने वाली बिजली के रेगुलेट मूल्य निर्धारण के प्रबंधन के लिए इन्वेस्टर, बिजली कंपनियों और रेगुलेटरी एजेंसियों के बीच विशेष समझौते मौजूद हैं। ये समझौते सोलर एनर्जी के एफ्फिसिएक्ट प्रोडक्श और उपयोग को सुनिश्चित करते हैं जिससे इन्वेस्टर को सोलर पावर प्लांट इंस्टॉल करने के लिए अपनी ज़मीन का उपयोग करने की अनुमति मिलती है।
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