भारत का सबसे एडवांस्ड 2kW सोलर सिस्टम
भारत में अब आ गई है लेटेस्ट टेक्नोलॉजी जिसके कारण अब आपको सोलर पैनल लगाने के लिए मेहेंगे सोलर इन्वर्टर या बैटरी की ज़रुरत नहीं है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से आप पूरे घर की बिजली की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं किफायती तरीके से। यह ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम उन लोगों के लिए एकदम सही है जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं और कम बजट में अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे भारत के सबसे एडवांस्ड 2kW सोलर सिस्टम के बारे में जिसे इंस्टॉल करके आप भी मुफ्त बिजली का लाभ उठा पाएँगे आने वाले कई सालों तक।
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम के बारे में जानें
एक ऑन-ग्रिड सिस्टम जिसके लिए बिजली ग्रिड से मैंडेटरी कनेक्शन की आवश्यकता होती है यह ऑफ-ग्रिड सिस्टम पूरी आज़ादी देता है। आप अपनी पसंद के अनुसार बिजली कनेक्शन रखना या हटाना चुन सकते हैं। यह सिस्टम किफ़ायती होने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिससे यह सीमित बजट वाले लोगों के लिए सुलभ है।
ऑन-ग्रिड सिस्टम के लिए ग्रिड कनेक्शन की आवश्यकता होती है और अगर बिजली नहीं है तो यह काम नहीं करेगा। यह ऑफ-ग्रिड सिस्टम आपको ग्रिड से इंडेपेंडेंटली अपना घर चलाने की अनुमति देता है जिससे आपको पूरी फ्रीडम मिलती है। अगर आपके पास 1-टन से 1.5-टन का सोलर एयर कंडीशनर, 1 HP सबमर्सिबल पंप, इंडक्शन कुकटॉप, कई पंखे या रेफ्रिजरेटर जैसा लोड है, तो यह सिस्टम आपके लिए सबसे बढ़िया विकल्प है। यह 10 से 12 यूनिट की डेली पावर कंसम्पशन वाले घरों को आसानी से सपोर्ट कर सकता है।
सोलर पैनल टेक्नोलॉजी
इस 2kW सोलर सिस्टम का मुख्य कॉम्पोनेन्ट सोलर पैनल है। आज के समय में सोलर पैनल में तीन पॉपुलर टेक्नोलॉजी हैं – मोनो PERC, N-टाइप बाइफेसियल और M10 टेक्नोलॉजी। मोनो PERC पैनल अपनी एफिशिएंसी के लिए जाने जाते हैं और काफी ज्यादा उपयोग किए जाते हैं। फिर आते हैं N-टाइप बाइफेसियल टेक्नोलॉजी वाले पैनल जो दोनों तरफ से बिजली जनरेट कर सकते हैं जिससे एफिशिएंसी बढ़ जाती है। फिर आते हैं M10 टेक्नोलॉजी वाले सोलर पैनल जो M10 जर्मन सेल का उपयोग करते हैं और सबसे ज्यादा एफ्फिसिएंट होते हैं और बेहतर परफॉरमेंस डिलीवर करते हैं।
इंस्टालेशन के लिए आवश्यकताएँ और कीमत
इस 2kW सिस्टम को इंस्टॉल करने के लिए आपको केवल 100 वर्ग फीट की छत की जगह की आवश्यकता है। इस सिस्टम को रेगुलर मेंटेनेंस या सफाई की आवश्यकता नहीं होती है जिससे यह परेशानी मुक्त हो जाता है। इस सिस्टम के लिए आपको एन-टाइप बाइफेसियल पैनल की ज़रुरत होगी जो 575-वाट पैनल प्रति किलोवाट 5 से 5.5 यूनिट उत्पन्न कर सकता है। वहीँ अगर आपको एक M10 टेक्नोलॉजी वाला सोलर पैनल चुनते हैं तो एक 580-वाट पैनल प्रति किलोवाट 5.5 से 6 यूनिट जनरेट कर सकता है। ये पैनल ज्यादा महंगे हो सकते हैं लेकिन वे ज्यादा प्रोडक्शन भी करते हैं।
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